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सितंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
जयपुर मे #शांतिप्रिय_कौम ने #तांडव मचाया..... चालान काटने पर कौम ए शहादत भड़क गयी.... आधे घंटे मे दस थाना क्षेत्रों मे तलवारे सरिये गंडासे लेकर हजारों की संख्या मे शांतिदूतो ने वाहनो को तोड़कर, आगजनी कर भाईचारा की मिसाल कायम की...... जिनके आगे पुलिस ,प्रशासन बेबस नजर आया.... पुलिस भागती नजर आई । रामगंज पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया , अभी भी दस थानो मे कर्फ्यू.... एक पुलिसकर्मी की मौत, दस जख्मी जिसमे दो की हालत गंभीर... फिलहाल इंटरनेट सेवा बंद....... यह तो शांतिदूतो का रिहर्सल है वो हमारी ताकत को चेक रहे है । ठीक इसी तरह पिछले वर्ष बंगाल के मालदा मे पुलिस चौकी हमला किया गया  और वहा भी शॉतिदुतो ने पुरी पुलिस चौकी को आग हवाले कर दिया । अब सवाल यह है कि जब पुलिस स्वयं की रक्षा नही कर पा रही है तो "Direct Action Day " की स्थिति मे हमारी रक्षा  कौन करेगा ? उनका मिशन क्लियर है- गजवा ए हिंद । हमारा  मिशन क्या है ? सेखुलरिज्म दंगो मे जब तक आर्मी पंहुचेगी तब तक लाशो को ढेर लग चुका होगा। सब जलकर राख हो चुका होगा । हमारे पास कुत्ते को हांकने की लकड़ी तक मिलती हथियार तो ...

मुल्ले जिंदाबाद!! सेक्युलरिज्म जिंदाबाद । गंगा जमुनी तहजीब जिंदाबाद!!

जो केस लगाए गए हैं , सारे केस वापस लो । फायरिंग करने वाले पुलिस वाले तुरन्त निलंबित हों । परिजनों को 1 करोड़ का मुआवजा व सरकारी नौकरी दो । हुजूर कहिये तो एक-दो पेट्रोल पंप , तीन-चार दुकानें और पांच-छः 3-BHK फ्लेट भी दिलवा दें । आप तो बस आर्डर कीजिये , हम सेक्युलरिज्म के पुरोधा सब सम्भाल लेंगे । आखिर आपके चश्मे चराग ने इस देश के लिए जान दी है । पाकिस्तान से युद्ध लड़ते हुए गोली खाई है , इसलिए इतना तो बनता है बॉस । अच्छा , भीड़ के खिलाफ मुकद्दमें वापिस लिए जाएं ? समझो ले लिए । ओह , फायरिंग करने वाले पुलिसिये भी निलंबित हों ? चिंता न करें , हो जाएंगे । आखिर हिम्मत कैसे हुई उनकी शांतिपूर्वक दंगा-फसाद करने वाली कौम पर गोलियां चलाने की । दंगा ही तो कर रहे थे , करने देते । आगजनी , तोड़फोड़ कर रहे थे , करने देते । पुलिस वालों को पीट रहे थे , पीटने देते ।  क्या गलत कर रहे थे ? इन पुलिस वालों को देश की गंगा-जमुनी तहजीब के बारे में नहीं पता है क्या ? जब अमन और शांति पसन्द लोग दंगा-फसाद कर रहे हों तो गोली नहीं चलाने का ? गोली नहीं कुछ भी नहीं करने का । चुपचाप हाथ बांध के तमाशा देखने का ज...

समान नागरिक कानून* से मुल्ले, मौलवी, इमाम, उलेमा की जुबान बंद की करो।

अब समय आ चुका है कि *समान नागरिक कानून* का जो भी मुल्ले, मौलवी, इमाम, उलेमा विरोध कर रहे हैं, उन्हें नजरअंदाज किया जाए या फिर सख्ती पूर्वक उनकी जुबान बंद की जाए। कोई भी मजहब कभी देश से बड़ा नहीं हो सकता।  भारत में जब किसी भी प्रकार के सुधार की बात होती है तो मुस्लिम मजहब के ठेकेदारों चिल्लाने लग जाते हैं कि यह तो हमारे कुरान में लिखा है। यह तो हमारा मजहबी मामला है, आदि। उन कठमुल्लों को स्पष्ट रुप से यह बात बता देनी चाहिए कि देश आजाद होने के बाद और उससे भी पहले से हिंदुओं ने स्वयं आगे रहकर ऐसी कुरीतियों पर रोक लगाई है जो महिला विरोधी थी। हिंदुओं ने कभी यह नहीं कहा की सती प्रथा, विधवा विवाह, बहुविवाह, बाल विवाह आदि हमारे धार्मिक मामले हैं।  देश के विकास के लिए जब भी जो कानून जरूरी हुए उनका हिंदुओं ने हमेशा स्वागत किया है।  लेकिन भारत में रहने वाले नमकहराम कठमुल्ले हमेशा कुरान की आड़ लेकर देश को बर्बाद करने पर तुले रहते हैं।  भारत में समान नागरिक कानून का इतना विरोध क्यों हो रहा है?? जबकि दुनिया के प्रायः सभी विकसित देशों में समान नागरिक कानून लागू है। ...