1.लोकतंत्र हराम है ,
2.राष्ट्रगान हराम है,
3.देश भक्ति हराम है,
3.देश भक्ति हराम है,
लोकतन्त्र क्यों हराम है इस्लामिक देश खलीफा अर्थात तानाशाह अर्थात डिक्टेटर, शरीअत नामक कानून से जनता को चलाता है जिस कानून में बदलाव की कोई गुंजाईश नहीं,
शरीअत वो है जो अ-ल्ल्हा का बनाया हुआ कानून है, लोकतंत्र वोह है जो लोगो के सहियोग से बनाया हुआ कानून से चलता है जिसको संविधान कहते है जो समय समय पर लोगो की सुविधा के अनुसार बदलता रहता है।।।
मगर साम्राज्यवादी अल्ल्हा के कानून शरीयत में ना वदलाव है और ना बदलाव की गुंजाईश हर मुस्लिम को शरीयत के मुताबिक ही चलना होता है इस लिए इस्लाम में लोकतंत्र हराम है।।।
ऑनली साम्राज्यवादी कानून शरीयत उनका सच्चा कानून है बाकि तो सब बेमानी है।।।
इसी लिए परस्पर द्वन्द होता रहता है लोकतंत्र और शरीयत(अर्थात मुस्लिम पर्सनल लॉ) में।।।
देश भक्ति और राष्ट्रगान क्यों हराम है राष्ट्रगान में "भारत भाग्यविधाता" और "जय हे जय हे जय हे" शब्द आते है,
भारत भाग्यविधाता का अर्थ होता है तुम ही हो भारत के भाग्यविधाता तुम्हारी जय हो जय हो जय हो,
मुस्लिम्स की इन 2 लाइनों से भवनाए आहत होती है
क्योंकि कुरआन की आयत सुरः4 आयत 116 कहती है
"अल्ल्हा के सिवा तुम किसी भी माबूद, या वस्तु, की इबादत नहीं कर सकते हो क्योंकि इस कायनात में सिर्फ अल्ल्हा ही पूजनीय है,,
इसी आयत के अनुसार देश भक्ति भी आती है,,
क्योंकि भक्ति तो सिर्फ अल्ल्हा की हो सकती है किसी देश की नहीं,,
इसी वजह से मुस्लिम्स राष्ट्रगान और देश भक्ति का विरोध करते है क्योंकि इसको शिर्क कहते है और इस्लाम में शिर्क सबसे बड़ा जुल्म है और शिर्क जुल्म की सजा जहन्नुम।।।। शिर्क का अर्थ होता है अल्ल्हा की इबादत में किसी को भी शामिल करना, शिर्क करने वाला मुशरिक कहलाता है उसके बाद वोह काफ़िर हो जाता है और उस काफ़िर की जगह जहन्नुम है बकौल इस्लाम।।।
तो जनाब अल्ल्हा के सिवा और कोई भाग्यविधाता कैसे बन सकता है?? और उसकी जय हे जय हे जय हे क्यों??
इसी वजह से देश भक्ति, और राष्ट्रगान हराम है इस्लाम के मुताबिक।।। 😖😕😔
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